Indiajkal.blogspot.comरोहिंग्या मुस्लिम कौन हैं?
विश्व की सामयिक घटनाओं के अंतर्गत भारत के पड़ोसी देश वर्मा जो अब म्यांमार के नाम से जाना जाता है ।यह रोहिंग्या मुस्लिम की समस्या से जूझ रहा है मयांमार में करीब 10 लाख रोहिंग्या मुस्लिम रहते हैं जो मुस्लिमों की सुन्नी शाखा से संबंध रखते हैं और इस देश में सदियों से रहते आए हैं । सन 1400 वर्ष के आसपास ये लोग वर्मा के जो अब मैं म्यांमार कहा जाता है कि अराकान प्रांत में आकर बस गए थे। इनमें से बहुत ज्यादा लोग 1430 में अराकान पर शासन करने वाले बौद्ध राजा बर्मीज में मिन सा मून के दरबार में नौकर थे जिसे बौद्ध में राजा नारामिखला भी कहा जाता है। इस राजा ने मुस्लिम सलाहकारों और दरबारियों को अपनी राजधानी में प्राशय दिया था ।अराकान म्यांमार की पश्चिमी सीमा पर है और यह आज के बांग्लादेश और स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व भारत के बंगाल का एक हिस्सा था। इस समय में अराकान के राजाओं ने स्वयं को मुगल शासकों की तरह समझना शुरू किया था और अपनी सेना में मुस्लिम उपाधियों का भी उपयोग करते थे और उन के दरबार के अधिकारियों के नाम भी मुस्लिम शासकों के दरबारी लोगो के नाम की तर्ज पर रखे गए थे। माना जाता है यह लोग अरब मूल के हैं ।वर्ष 1785 में बर्मा के लोगों ने जो बौधे अनुयायी थे ने देश के दक्षिणी पश्चिमी हिस्से अराकान पर कब्जा कर लिया था ।उन्होंने उस लड़ाई में रोहिंग्या मुसलमानों को इलाके से बाहर खदेड़ दिया था या फिर उनकी हत्या कर दी थी । इस शताब्दी में अराकान के करीब 35,000 लोग बंगाल भाग आए थे । उस समय बंगाल पर अंग्रेजों का अधिकार था । वर्ष 1824 से लेकर 1826 तक चले एंग्लो बर्मी युद्ध के बाद 1826 में अराकान अंग्रेजों के नियंत्रण में आ गया था और उस पर अंग्रेजो का कब्जा हो गया अंग्रेजो ने बंगाल के स्थानीय लोगों को प्रोत्साहित अराकान के जनसंख्या विभिन्न क्षेत्रों में बसाने का प्रयत्न किया था । रोहिंग्या मूल के मुस्लिम और बंगालियों को प्रोत्साहन दे करके उस समय के अराकान और आज के राखिन में बसाया गया था । तभी से स्थानीय बौद्ध लोगों और रोहिंग्या मूल के मुसलमानों में एक दूसरे के प्रति विद्वेष की भावना घर कर गई है । तभी जो से मूल तनाव पनपा अभी तक चल रहा है ।दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान एशिया में जापान के बढ़ते दबदबे से अंग्रेजों ने अराकान को छोड़ दिया और जापान के प्रभाव में आते ही मुस्लिमों और बौद्ध लोगों ने एक दूसरे के कत्लेआम करने की होड़ शुरू हो गई ।इस दौर में रोहिंग्या मुस्लिमों को उम्मीद थी कि अंग्रेजों से सुरक्षा और संरक्षण पा सकते हैं । इस कारण रोहंगया मुसलमानों ने एलाइड ताकतों को मजबूत करने के उद्देश्य से जापानी सैनिकों की जासूसी की थी। जब यह बात जापानियों को पता चली तो उन्होंने रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ यातनाएं देने हत्या और बलात्कार करने का कार्यक्रम शुरु कर दिया इस से डरकर अराकान से लाखों रोहिंग्या मुस्लिम दूसरे विश्व युद्ध के बाद 1962 में जनरल नेविन के नेतृत्व में तख्तापलट की कार्रवाई के दौर में रोहिंग्या मुसलमानों ने अराकान में एक अलग रोहिंग्या देश बनाने की मांग रखी ।लेकिन तात्कालिक म्यांमार की सेना ने यंगून पर कब्जा करते ही अलगाववादी और गैर राजनीतिक दोनों प्रकार के रोहिंगया लोगों के खिलाफ कड़ी सैन्य कार्रवाई की शुरुआत कर दी ।सैनिक शासन ने रोहिंगया लोगों को नागरिकता देने से इंकार कर दिया और इन्हें बिना देश वाले स्टेटस मूल के निवासी घोषित कर दिया। मयामार के सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों को पढ़ाई लिखाई से भी वंचित रखने का प्रयास किया है। प्रारंभिक शिक्षा ही मिल सकती है। ये 25 वर्ष बाद पिछले साल चुनाव हुआ था। इस चुनाव में नोबेल विजेता आंग सान सू ची की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी की भारी जीत मिली थी। हालांकि संविधानिक नियमों के कारण वह चुनाव जीतने के बाद भी राष्ट्रपति नहीं बन पाई थी सूची स्टेट काउंसलर की भूमिका में है ।हालांकि कहा जाता है वास्तविक कमान सूची के हाथों में ही है अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सू ची अब मीडिया के निशाने पर है मानव अधिकारों की चैंपियन होने के बावजूद भी वह मुसलमानों पर खामोश हैं और उन्होंने रखाइन में पत्रकारों के जाने पर लगी रोक को भी नहीं हटाया है। राष्ट्रपति के प्रवक्ता ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी गलत रिपोर्टिंग हो रही है । इसके साथ-साथ विशेष अभियानों में म्यंमारकी सेना को ट्रेनिंग देने से जुड़ी भारत की योजनाओं को कुछ लोग सही मान रहे है या चरमपंथियों के खिलाफ म्यांमार के सैन्य अभियान के समर्थन के रूप में भी देख रहे हैं। भारत में म्यांमार सैन्य अधिकारियों के साथ अच्छे रिश्ते बनाना चाहता है और उसे उम्मीद है कि ऐसा करने से चरमपंथियों के खिलाफ उसे मदद मिलेगी ।क्योंकि इनमें से कई म्यांमार के जंगलों में रहते हैं ।यह कहा जाता है कि दुनिया में रोहिंग्या मुसलमान ऐसा अल्पसंख्यक समुदाय है जिस पर सबसे ज्यादा जुल्म हो रहा है।
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