आज चर्चित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय मामले पर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा हाईकोर्ट के पूर्व जज से जांच करवाने का निर्देश दिया गया है जिसमें जांच के नाम पर विश्व विद्यालय की छात्राओं को गुमराह किया जा रहा है क्योंकि मामला विश्वविद्यालय की छात्राओं से जुड़ा है जो कि यौन हिंसा का शिकार हुई है ।इस तरह से हाईकोर्ट के पूर्व पुरुष जज को जांच अधिकारी नियुक्त किया जाना सरकार की मंशा पर सवालिया निशान उठा रहा है ।हाई कोर्ट के जज से जांच करवाना अच्छी और निसंदेह पूर्ण बात हो सकती है लेकिन जहां महिलाओं के यौन हिंसा और उत्पीड़न के मामले की बात है वहां विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा हाईकोर्ट की पूर्व महिला जज को जांच अधिकारी नियुक्त किया जाना न्याय प्रिय और न्याय संगत हो सकता है लेकिन बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का प्रशासन जल्दबाजी में जांच करवाने का मामला है जो वहां के पीड़ित छात्राओं के लिए राहत की सांस नहीं है जैसा कि बहुत सारे पाठकगण जानते हैं कि महिलाओं के साथ यौन हिंसा के अपराधों में जांच अधिकारी महिला ही होनी चाहिए ऐसा कानून में वर्णित किया गया है लेकिन बीएचयू प्रशासन ने इसके विरुद्ध ही अपनी सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी है जो कि गलत है और BHU प्रकाशन की कार गुजारियों को प्रदर्शित करने के लिए पर्याप्त है।
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