बिना जानकारी के किसान खुद कर रहे अपनी जमीन को बंजर

खेतो में फसल के पुआल फूंकने से पैदा हो रही है तरह तरह की समस्याएं, जबकि विभाग है बेखबर, विदित हो कि जिले में  इन दिनों धान की फसल की कटाई पूरे चरम पर है। किसान अपनी सुविधानुसार फसल की कटाई मजदूर व कम्बाइन मशीन से भी करवा रहे है। कम्बाइन मशीन से धान के अनाज को सुरक्षित कर पुआल को खेत मे छोड़ दिया जाता है। जबकि कुछ दिन बाद इस पुआल को खेत मे ही जल दिया जाता है। जबकि इससे कई तरह से नुकसान भी हो रहा है। जिनसे वो अनभिज्ञ है। जबकि सरकार इसके प्रति बहुत ही चिंतित है। पुआल जलाने से जानवरो का चारा तो खत्म होता ही है इसके अलावा पर्यावरण को नुकसान के साथ मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी खत्म होती है। मृदा की उर्वरता समाप्त होकर खेत ऊसर बन जाता है।  सूक्ष्म तत्वों के अभाव को किसी भी  रसायन या उर्वरक से पूरा नही किया जा सकता। धुंए से वातावरण भी दूषित होने से वायु प्रदुषण होता है। जिससे गम्भीर बीमारियां फैलती है जो फसलो के साथ इंसान व जानवर पर भी अपना बुरा प्रभाव डालता है। यदि समय रहते इस पर गम्भीरता से कार्य नही किया गया तो जमीन के साथ हर तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। इस कार्य पर अंकुश लगाने के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण ( एन जी टी )ने इसे कानूनन अपराध घोषित किया है जिसमे उलंघ्घना करने को आर्थिक रूप आए दंडित करने का प्रावधान भी है। यदि यही गलती किसान दुबारा करता है तो कृषि विभाग से मिलने वाली सारी सुविधा व अनुदान बन्द हो जाएगा। कृषि अवशेष के धुँए से स्माग पैदा होता है, जो धुँआ, कोहरा व धूल से बनता है। स्माग से स्वास के लेने की समस्या तो होती ही है साथ मे फसले, पौधे भी प्रभावित होती है। जिससे पैदावार पर भी असर होता है। लोगो ने जिलाधिकारी से मांग की है कि किसानों को जागरूक करके होने वाली बड़ी समस्या के प्रति आगाह किया जाय। जिससे भविष्य में होने वाले नुकसान से निपटा जा सके।