प्याज की कालाबाजारी मुनाफाखोरी का अच्छा व्यवसाय बन गया

अमेठी जिले में प्याज के दामों में वृद्धि हुई है । बाजारों में प्याज किताबों में तेजी देखने को मिली है जहां आम इंसान दो वक्त की रोटी के लिए दिन भर मेहनत करता है और शाम को उस की थाली से रोटी के साथ खाई जाने वाली प्याज गायब होने लगी है । यह सिलसिला लगातार 20 दिन से चला आ रहा है अमेठी की बाजारों में प्याज 40 से ₹50 किलो तक बिक रहा है। प्याज के बढ़ते दामों ने आम आदमी की जेब ढीली करना शुरू कर दिया है आपको बताते चलें कि अभी कुछ दिन पहले मध्यप्रदेश में प्याज एक रुपए प्रति किलो सबसे न्यूनतम कीमत पर पहुंच गया था और किसानो ने प्याज की गिरती हुई कीमत के कारण सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन करते हुए शहर के प्रमुख सड़कों पर प्याज की बोरियों को उलट दिया था। प्याज हो को इसलिए महत्व दिया जाता है कि प्याज के बढ़े हुए दाम ने भारत के इतिहास में सरकार बदलने का भी काम किया था पिछली बार जब भाजपा के नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनी थी तब प्याज के बढ़ते दामों ने सरकार के खिलाफ  आंदोलन चलाते हुए दिल्ली में सत्ता परिवर्तन तक करा दिया था लेकिन अमेठी में इसका हाल ठीक नहीं कहा जा सकता जहां आढ़तियों ने प्याज को स्टोर कर रखा है वही आम आदमी की पहुंच से प्याज दूर हो चला है प्याज की बढ़ती हुई कीमत प्याज की क्वालिटी में भी गिरावट ला दी है। अमेठी के बाजारों में जो प्याज देखने के लिए उपलब्ध है । इस सब के बावजूद भी अमेठी में  प्याज आम आदमी की पहुंच से बाहर है। अमेठी में प्याज के दाम अभी तक वर्ष 2017 -18 में सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गए हैं । अमेठी में प्याज की कीमत  कम होना संभव नहीं लग रहा है। अमेठी का जिला प्रशासन भी प्याज के कारोबारियों के पास स्टॉक को नियंत्रित नहीं कर पा रहा है ।जिले के आला अधिकारी आवश्यक वस्तुओं के बढ़ते हुए दामों के प्रति संजीदा नहीं लग रहे हैं जिसके कारण प्याज की कालाबाजारी मुनाफाखोरी का अच्छा व्यवसाय बन गया है । प्याज के दामों में यह वृद्धि सरकार द्वारा  निर्यात पॉलिसी के कारण उत्पन्न नहीं है बल्कि लोगों का मानना है कि प्याज को थोक व्यापारियों द्वारा स्टॉक कर महंगे दामों पर बिक्री की जा रहा है।