त्रिपुरा में पत्रकार शांतनु भौमिक की हत्या कर दी गयी। लेकिन हमें इसकी खबर तक नहीं। यही पत्रकार अगर हिंन्दू देवी देवताओं पर विवादित लेख रहा होता तो हिन्दू संगठनों पर इसका आरोप मढ़ दिया गया होता। दरअसल में हम मानसिक बीमारी से गुजर रहे हैं, हम लाशों से उनकी जाति पूछते हैं, मारे गए पत्रकार के बारे में पहले ये पता किया जाता है कि वो लेफिटिस्ट या राइटिस्ट, तब तय करते हैं कि हत्या का विरोध हो की न हो। शांतनु को ज्यादा मैं वैसे ही नहीं जानता जैसे गौरी लंकेश को नहीं जानता था। लेकिन ये हत्या भी एक पत्रकार की है। हर भारतीय पत्रकार शांतनु को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
त्रिपुरा में टीवी पत्रकार सानतानु भूमिक की रिपोर्टिंग के दौरान कथित तौर पर हत्या कर दी गई है। खबर के अनुसार पत्रकार रोड ब्लॉक करने की कोशिश कर रही भाजपा समर्थक आदिवासी पार्टी स्वदेशी पीपुल्स फोरम की रिपोर्टिंग कर रहे थे। घटना त्रिपुरा के मंडाई क्षेत्र की है। द क्विंट की खबर के अनुसार भूमिक क्षेत्रीय टीवी चैनल ‘दिन रात’ के लिए रिपोर्टिंग कर रहे थे। तभी कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ मार्क्सवाद (सीपीएम) और आईपीएफटी के बीच झगड़े के दौरान धारदार हथियार से उनपर हमला किया गया। दूसरी तरफ सीपीआईएम का आरोप है कि हमलावर आईपीएफटी के कार्यकर्ता थे। घटना के बाद मंडाई क्षेत्र में धारा 144 लागू कर दी गई है। मामले में पुलिस ने बताया कि पत्रकार पर हमले के बाद उन्हें अगरतला के सरकारी हॉस्पिटल ले जाया गया। जहां गंभीर चोट लगने के बाद उनकी मौत हो गई है। पुलिस मामले में छानबीन कर रही है।
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