योगीराज में पत्रकार के परिवार भी नहीं है सुरक्षित

अमेठी
दैनिक हिन्दुस्तान के जिला ब्यूरो अजय सिंह के पुत्र अभय हत्याकांड में कहने को तो पुलिस खुलासे के लिए  भरसक हाथ पांव मार रही है परंतु नतीजा आज भी शून्य ही है ।दुर्भाग्यवश भारत के लोकतंत्र में चाहे वह प्रशासन हो या की सरकारें दोनों ही आंदोलन की भाषा तो समझती है परंतु विनम्र विनती को दरकिनार कर देने को अपनी महानता मानती है ।अगर हम पत्रकारिता के इतिहास में झांके तो विरले ही मौके होंगे जब पत्रकारों ने सड़क पर उतर कर अपनी बातें मनवाने के लिए आंदोलन किया हो और लोकतंत्र में यही सबसे बड़ी कमजोरी है ।अजीब सा लगता है जब छोटी छोटी बातों को संज्ञा न में लेने वाले  प्रदेश के मुख्यमंत्री महाराज योगी जी भी पत्रकारों के मामले को दरकिनार कर लोकतंत्र को मजबूत बनाने की बात करते हैं या कि यह मान लिया जाय की मुख्यमंत्री का सूचना तंत्र इतना कमजोर है कि अभी तक इस जघन्य हत्याकांड की सूचना ही उन तक नहीं पहुँची । लगता तो यही है ।वैसे भी उप्र की विगत सपा  सरकार ने पत्रकारों पर तमाम उत्पीड़न व हत्या जैसे जघन्य अपराधों पर कोई कार्रवाही न कर पत्रकारों को पहले ही संदेश दे चुकी है कि लोकतंत्र में तानाशाही भी एक अहम अंग है ।ऐसे में अभय हत्याकांड में ढुलमुल रवैया अपनाना कोई नई बात नहीं ।क्या फर्क पड़ता है सरकार किसी भी पार्टी की क्यों न हो !!